पेंशनधारकों के व्यक्तिगत रिकॉर्ड की जानकारी CPAO के पास रहती है। ऐसे में देखा गया है कि बहुत सारे अज्ञात व्यक्ति CPAO ऑफिस में आकर पेंशनभोगियों/ फैमिली पेंशनभोगियों का व्यक्तिगत रिकॉर्ड मांगते हैं। वह बताते हैं कि हम पेंशनभोगी की तरफ से आए हैं, किसी कारण की वजह से पेंशनभोगी का व्यक्तिगत रिकॉर्ड चाहिए। ऐसे में इसकी वजह क्या होती है और मंत्रालय/ विभागों को क्या करना चाहिए, उसी को लेकर केंद्र सरकार की तरफ से दिशा- निर्देश जारी किए हैं।
पेंशनधारकों के व्यक्तिगत रिकॉर्ड मांगने की वजह क्या हो सकती है। अगर मंत्रालय/विभाग पेंशनधारकों का व्यक्तिगत रेकॉर्ड किसी को दे देते है तो भविष्य में क्या खतरा हो सकता है। पूरी खबर को जानेंगे उसके पहले चलिए जान लेते है कि पेंशनधारकों के व्यक्तिगत रिकॉर्ड माँगने की वजह क्या हो सकती है।
मुकदमेबाजी या पारिवारिक कलह प्रमुख वजह
कभी-कभी किसी पेंशनभोगी के ऊपर मुकदमा चलता है या पारिवारिक कलह की वजह से, जैसे कि उनका परिवार मुख्य रूप से पत्नी जानना चाहती है कि पेंशनभोगी ने नॉमिनी किसको बनाया है या फिर किसी अन्य कारण से पेंशनभोगियों का व्यक्तिगत रिकॉर्ड मंगाया जाता है। कभी-कभी मुकदमे बाजी की वजह से पुलीस या वकील पेंशनभोगियों का व्यक्तिगत रिकॉर्ड मांगते है और किसी दुसरे व्यक्ति के साथ शेअर कर देते है जिससे रिकॉर्ड की गोपनीयता पे सवाल उठता है।
दूरसंचार कंपनियां भी मांगती है व्यक्तिगत रिकॉर्ड
कभी-कभी ऐसा देखा गया है कि दूर संचार कंपनियां भी पेंशनभोगियों का व्यक्तिगत रिकॉर्ड माँगती है, व्यक्तिगत रिकॉर्ड मिलने के बाद वे उनको फोन करते है और अपने प्रोडक्ट को बेचते है।
साइबर अपराधी माँगते है व्यक्तिगत रिकॉर्ड
कभी-कभी साइबर अपराधी घर का मेंबर बनके आते है और पेंशनधारको का पर्सनल डेटा मांगते हैं ताकि उनके साथ ठगी किया जा सके। साइबर अपराधियो की नजर पेंशनधारकों के ऊपर रहती है। किसी भी तरह से उनका व्यक्तिगत रिकॉर्ड वो लेना चाहते है। उनका डेटा लेकर वे उनको फोन करते है, और सभी इनफार्मेशन उनके पास होने से पेंशनभोगी उनको विभाग का अधिकारी समझ बैठते है। इस प्रकार से ठगी को अंजाम दिया जाता है।
केंद्र सरकार ने जारी किया दिशानिर्देश
इसी को लेकर केंद्र सरकार की तरफ से एक इंपॉर्टेंट गाइडलाइन जारी किया गया है जो कि सभी मंत्रालय एवं विभाग के ऊपर लागू होता है। ऐसे में यह जरूरी दिशानिर्देश हर पेंशनभोगी को जानना बेहद ही जरूरी है।
व्यक्तिगत रिकॉर्ड शेयर ना किया जाय
1) इस दिशानिर्देश में बताया गया है कि पेंशनभोगियों का डाटा किसी भी थर्ड पार्टी को ना दिया जाए, अगर वकील भी पेंशनभोगियों का व्यक्तिगत रिकॉर्ड मांगता है तो भी ना दिया जाए, जब तक उसके पास किसी भी प्रकार की उचित अथॉरिटी ना हो।
2) सभी मंत्रालय/विभागों को आदेश जारी किया गया है कि पेंशनभोगियों का डेटा तब दिया जाए जब पेंशनभोगी ने इसकी अथॉरिटी दी हो। मंत्रालय/ विभाग के अधिकारियों को पूरी तरह से जाँच-परख करके ही व्यक्तिगत रिकॉर्ड दूसरे पार्टी को सौपना है।
3)जब तक पेंशनभोगी या फिर फैमिली पेंशनभोगी की तरफ से नो ऑब्जेक्शन सर्टिफिकेट नहीं मिल जाता है, तब तक उनका व्यक्तिगत रिकॉर्ड किसी भी थर्ड पार्टी को नहीं देना है।
4)अगर पुलिस या वकील भी व्यक्तिगत रिकॉर्ड पेंशनभोगी का माँगते हैं तो उसे केस में भी उनका रिकॉर्ड नहीं देना है जब तक कोई उचित अथॉरिटी की तरफ से लेटर ना दिखाया जाए।
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उचित ऑथोरिटी के साथ ही शेयर किया जाय
1) पेंशनधारकों का डेटा तभी दिया जाय जब पेंशनधारक ने इसकी मंजूरी दी हो। व्यक्तिगत रिकॉर्ड देते समय ध्यान में रखा जाय कि प्राइवेसी पालिसी का उल्लंघन ना हो।
2) अगर व्यक्तिगत रिकॉर्ड लेने की उचित ऑथोरिटी है ऐसे में जितने भी मंत्रालय और विभाग के अधिकारी हैं जब पेंशनभोगी का रिकॉर्ड देंगे तब उनका व्यक्तिगत रिकॉर्ड कौन ले गया है उसकी जानकारी रखेंगे। उनका आईडी कार्ड लेना है ताकि भविष्य में किसी भी प्रकार की अनहोनी ना हो पाए।
आदेश की कॉपी डाउनलोड करें
यह एक अच्छा कदम है गोपनीयता सुरक्षित हो जाए और एक बात डीए एरियर देने से भाजपा सरकार की सम्मान ने अप्रत्याशित वोट में वृद्धि दर्ज एक रिकॉर्ड होता , काश सरकार इस पर ध्यान देती!
Krupiya penshan ke bareme sarkar dhyan de to sarkar ke samman badhega
Good initiative
Well done
Ham bjp ko hi bot dege
सरकार के निर्णय और नीतियां अच्छी होती हैं।पर इनका पालन सही नहीं होता । इसलिए ऐसे आदेशों का भी दुरुपयोग होने लगेगा।
Is ops and existing issue?
Is ops an existing issue in this election?
It is wise initiative.keep it up.
I had been receiving pension Rs23000/-in 2016 suddenly my pension reduced to Rs 11000/-I had been medically boarded out from Kadamtala Siliguri.
In pen and paper I was in 80 BNBSF
But I performed duty in IG HD Quarter Kadamtala so it’s difficult to short out my case
Since 2016 they had been recovering RS 6000/- from my pension
I had been posted to J and k. Kupwara during war I had to use headphones even in lightning and thundering and my ear damaged
Now no one is there to see my case
अगर सेन्ट्रल गबरमैन्ट कर्मचारी रिटायरमेंट के बाद दस साल पूरे कर चुका है तो उसका कम्युटेशन का पैसा काटन नही चाहिए।