बिग ब्रेकिंग, अनिवार्य सेवानिवृत्ति आदेश का फैसला वापस? कर्मचारियों ने भजनलाल सरकार के खिलाफ खोला मोर्चा

राजस्थान में भजनलाल सरकार के अनिवार्य सेवानिवृत्ति के आदेश के खिलाफ कर्मचारियों ने मोर्चा खोल दिया है और इसके विरोध में आंदोलन करने की धमकी दे रहे है। कर्मचारी संगठनों का कहना है कि राजस्थान सरकार के इस आदेश का विरोध किया जाएगा। यह आदेश अलोकतांत्रिक और मनमाना है।

जबरन रिटायर करने का आदेश

आपको बता दूँ कि 24 मई 2024 को राजस्थान सरकार के द्वारा एक आदेश जारी किया गया जिसमें कहा गया कि ऐसे कर्मचारी जिन्होंने 15 साल की सेवा अथवा 50 साल की उम्र पूरी कर ली है तो ऐसे कर्मचारियो की स्क्रीनिंग की जाएगी, अगर वे इसमे फिट नही बैठते है तो उनको अनिवार्य सेवानिवृत्ति दे दी जाएगी।

राजस्थान सरकार के वित्त सचिव के अनुसार भ्रष्ट, कामचोर और गैरजिम्मेदार कर्मचारियों को सरकार अनिवार्य सेवानिवृत्ति देगी. इसके लिए संबंधित विभागों को नियमानुसार कार्रवाई करके इसका प्रस्ताव संबंधित प्रशासनिक विभाग को भेजना है।

इस आदेश के बाद मचा बवाल

इस आदेश के बाद बवाल मचना लाजमी था. सरकार के इस फैसले के बाद प्रदेश के कर्मचारियो और कर्मचारी संगठनों ने अपने तेवर गरम कर लिए है, ऐसे में लाखों कर्मचारी इसके विरोध में सड़क पर उतरने के लिए मजबूर हो गये है। कर्मचारी महासंघ के प्रदेश अध्यक्ष महावीर ने कहा कि राजस्थान में सरकार की ओर से पिछले कुछ महीनों में कर्मचारियों के सम्मान को ठेस पहुंचाने की कोशिश की जा रही है आए दिन कई तरह के मनमाने आदेश जारी किए जा रहे हैं जिससे कर्मचारियो में आतंक व्याप्त हो गया है जिसके कारण वे अपनी कार्यक्षमता से काम नही कर पा रहे है। 

यह आदेश आंतक फैलानेवाला

सरकार की तरफ से कर्मचारियों को नकारा साबित करने की कोशिश की जा रही है। उन्होंने कहा कि सरकार को यह नही भूलना चाहिए कि कोरोना काल जैसी विषम परिस्थितियों में भी कर्मचारियो ने बढ़ चढ़कर अपना शत प्रतिशत योगदान दिया था। कर्मचारियो की मेहनत के कारण राजस्थान एक रोल मॉडल बना था। अब ऐसा क्या हो गया कि यही कर्मचारी सरकार को खटने लगे है। सरकार के द्वारा उनको नकारा, भ्रष्ट, लापरवाह साबित करने की कोशिश की जा रही है। 

सरकार के इस सौतेले व्यवहार को कर्मचारी बर्दाश्त नहीं करेगे। किसी भी सूरत में कर्मचारियों के सम्मान को ठेस नही पहुंचनी चाहिए, अगर ऐसा होता है तो इसके लिए कर्मचारी सरकार के खिलाफ़ ना केवल विरोध करेगे, बल्कि आंदोलन भी करेगे। राजस्थान के प्रमुख कर्मचारी संगठनों ने सरकार के इस फैसले की कड़े शब्दों में निंदा की और इसे आतंक फैलाने वाला करार दिया है।

सरकारी संस्थानों का निजीकरण सरकार का प्रमुख एजेंडा

इसके पहले भी वर्तमान सरकार कर्मचारियो को परेशान करते आ रही है। कभी औचक निरीक्षण के नाम पर सस्पेंड करना, मोबाल ऐप से हाजिरी लगवाना और लोकेशन ऑन रखवाना, जींस टी-शर्ट को मुद्दा बनाना और अब 15 वर्ष से अधिक सेवा वाले या 50 वर्ष की आयु पूरी कर चुके कर्मचारियों की जबरन रिटायरमेंट को लेकर आदेश जारी करना यह दर्शाता है कि सरकार सरकारी कर्मचारियो की छुट्टी कर सारे सरकारी संस्थानों का निजीकरण करना चाहती है। कर्मचारी महासंघ इसका कड़ा विरोध करता है।

कुछ कर्मचारी कर रहे है इस फैसले का स्वागत

सरकार के इस आदेश को कुछ सरकारी कर्मचारी अच्छा निर्णय बता रहे है, वे इस फैसले का स्वागत कर रहे है, उनका कहना है कि इस आदेश से केवल वही लोग विरोध कर रहे है जो भ्रस्ट और कामचोर है, वही डर रहे है जो अपने काम के प्रति लापरवाह औऱ गैरजिम्मेदार है। जो अपना काम सही ढंग से जिम्मेदारी से कर रहे है उनको कोई चिंता नही है। वही पे कुछ कर्मचारियो का मानना है कि इससे चापलूसी बढ़ेगी और अधिकारियो में मनमानी करने की प्रवृत्ति बढ़ेगी।

अनिवार्य सेवानिवृत्ति का फैसला होगा वापस

कर्मचारी संगठनों का मानना है कि सरकार के इस आदेश से अधिकारियों में मनमानी और चापलूसी की भावना बढ़ेगी. सरकार को इस आदेश को लागू करने के पहले कर्मचारी संगठनों से बातचीत करनी चाहिए थी. सरकार का यह आदेश न केवल मनमाना है बल्कि यह है कर्मचारियो के खिलाफ है। इससे कर्मचारियों में काम करने के प्रति नकारात्मक भावना आयेगी इसलिए कर्मचारी संगठन सरकार के इस फैसले का विरोध कर रहे है और यह आदेश तत्काल प्रभाव से निरस्त करने की मांग कर रहे हैं. अगर सरकार ऐसा नहीं करती है तो कर्मचारी आंदोलन करने के लिए विवश हो जाएंगे और आंदोलन के माध्यम से यह आदेश निरस्त कराएगे।

संबंधित खबरे:

15 वर्ष की सेवा अथवा 50 साल पुरी कर चुके कर्मचारियो को मिलेगी अनिवार्य सेवानिवृत्ति, आदेश जारी

सरकारी कर्मचारियों के लिए आ गई बड़ी खबर, नही दी जाएंगी अनिवार्य सेवानिवृत्ति

WhatsApp Group Join Now
Telegram Group Join Now

Leave a Comment