8th Pay Commision: केंद्रीय कर्मचारियो, पेंशनभोगियों, राज्य कर्मचारियों/ पेंशनभोगियों की क्रय शक्ति (Purchasing Power) बनी रहे इसलिए उनको महंगाई भत्ते का भुगतान किया जाता है, लेकिन महंगाई भत्ता एक सीमा तक ही काम करता है उसके बाद कर्मचारियों और पेंशनधारको की सैलरी और पेंशन के स्ट्रक्चर को संघटित (Organise) करने की जरूरत होती है। इसके लिए वेतन आयोग (pay Commssion) का सिस्टम लाया गया था।
हर 10 साल पर वेतन आयोग (Pay Commision) लाने का नियम
हर 10 साल पर वेतन आयोग लाने का नियम है। चौथा वेतन आयोग,1 जनवरी 1986 में लागू किया गया था। पांचवा वेतन आयोग 1 जनवरी 1996 में लाया गया था वही छटवां वेतन आयोग 1 जनवरी 2006 से लागू हुआ था उसके बाद सातवा वेतन आयोग 1 जनवरी 2016 से लागू किया गया। अब ऐसे में 8th Pay Commision 1 जनवरी 2026 से लागू होना चाहिए। लेकिन केंद्र सरकार ने इसको लेकर कमिटी का गठन नही किया।
आमतौर पर लोकसभा चुनावो में जाने से पहले केंद्र सरकार कमिटी का गठन कर देती है। 2014 में तत्कालीन कांग्रेस सरकार ने चुनावो में जाने से पहले सातवें वेतन आयोग की कमिटी का गठन किया था। लेकिन इस बार मामला उलटा ही दिखाई पड़ा। वर्तमान की केंद्र सरकार ने ऐसा कोई फैसला नही लिया। इससे साफ पता चलता है कि केंद्र सरकार आठवे वेतन आयोग लाने के ऊपर विचार नही कर रही है।
सदन से भी आया था यही जवाब
केंद्र सरकार बार-बार यही कहती आयी है कि आठवे वेतन को लेकर कोई विचार नही है। अभी हाल ही में राज्यसभा और लोकसभा में यह मुद्दा उठाया गया था जिस पर केंद्र सरकार ने इसको सिरे से खारिज करते हुए स्पष्ट किया था कि सरकार के पास आठवे वेतन आयोग लाने का कोई भी प्रस्ताव विचाराधीन नही है।
सत्ता में वापसी के बाद नही उठेगा सवाल
ऐसे में यूनियन के प्रतिनिधियों से पूछा गया तो उनका कहना है कि लोकसभा चुनावो के बाद नई सरकार गठित होने के बाद आठवे वेतन की मांग जोर शोर से की जाएगी। ऐसे में अगर बीजेपी सरकार सत्ता में वापसी करती है और सत्ता में वापसी के बाद एक बार फिर से उनका मनोबल बढ़ जाएगा और उनका यही कहना होगा कि आठवे वेतन को लेकर कोई विचार नही है।
सातवे वेतन आयोग में की गई थी सिफारिश
सातवां वेतन आयोग 1 जनवरी 2016 से लाया गया था, उस समय कहाँ गया था कि कर्मचारियो और पेंशनभोगियों की सैलरी और पेंशन बढ़ाने के लिए कोई अलग नियम बनाने की जरूरत है। हर साल कर्मचारियो और पेंशनभोगियो की सैलरी और पेंशन में बढ़ोतरी होनी चाहिए। सैलरी और पेंशन बढ़ाने के लिए 10 साल का इंतजार नहीं करवाना है।
सातवे वेतन आयोग के इस सिफारिश को नही किया लागू
सातवें वेतन आयोग की सिफारिश के अनुसार कर्मचारियों और पेंशनधारकों की सैलरी और पेंशन के स्ट्रक्चर में हर साल बढ़ोतरी होनी चाहिए लेकिन केंद्र सरकार ने सातवें वेतन आयोग की इस सिफारिश को नहीं लागू किया। ऐसे में उम्मीद थी कि लोकसभा चुनाव में जाने से पहले केंद्र सरकार आठवे वेतन आयोग की कमिटी का गठन कर देगी लेकिन केंद्र सरकार ने उसको सिरे से खारिज कर दिया।
नही आएगा आठवाँ वेतन आयोग
अब ऐसे में लोकसभा चुनाव अगर केंद्र सरकार जीत जाती है और 2024 में फिर से सरकार का गठन करती है तो आठवां वेतन आयोग नहीं आएगा क्योंकि केंद्र सरकार कभी भी नहीं चाहती है कि आठवां वेतन आयोग आए। कर्मचारियों और पेंशनभोगियो का भी बार-बार यही कहना होता है कि वर्तमान सरकार कर्मचारी विरोधी है। कर्मचारियों के बारे में नहीं सोचती है ऐसे में अगर आठवां वेतन आयोग नहीं आएगा तो यह बात पूरी तरह से सिद्ध हो जाएगी।
18 महीने का एरियर
वर्तामान की केंद्र सरकार ने कर्मचारियों और पेंशनभोगियो का 18 महीने का महंगाई भत्ता भी रोक दिया था। कोरोना को देखते हुए केंद्र सरकार ने 1 जनवरी 2020 से लेकर 30 जून 2021 तक का महंगाई भत्ता फ्रीज कर दिया था। ऐसे में कई बार कर्मचारी/पेंशनभोगी संगठनों की तरफ से डिमांड की गई कि इसको बहाल किया जाए लेकिन केंद्र सरकार ने इसको बहाल नहीं किया। केंद्र सरकार अगर देना चाहती तो इसको दे सकती थी लेकिन केंद्र सरकार की मंशा ही नहीं है कि कर्मचारी और पेंशनभोगियों को खुश करे। केंद्र सरकार केवल काम करवाना जानती है, देना बिल्कुल भी नहीं जानती है।
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पुरानी पेंशन को किया बंद
बीजेपी सरकार ने ही पुरानी पेंशन को बंद किया। 1 जनवरी 2004 के बाद जो कर्मचारी भर्ती हुए, ऐसे कर्मचारियों की पुरानी पेंशन को बंद करके उसकी जगह नई पेंशन को शुरू किया। प्रधनमंत्री अटल बिहारी वाजपेई जी के शासनकाल में यह निर्णय लिया गया। उसके बाद राज्य सरकारों ने भी केंद्र सरकार के इस नियम को लागू किया। ऐसे में देखा जाए तो जितने भी कर्मचारियों के विरोध में नियम लाये गए हैं वह भाजपा शासनकाल में ही आये है।
तीनो सेनाओ में पेंशन बंद
वर्तमान में केवल तीनो सेनाओ में ही पुरानी पेंशन का फायदा दिया जाता था लेकिन केंद्र सरकार इसको भी बोझ समझ रही थी इसलिए तीनो सेनाओ में अग्निवीर योजना लाकर पेंशन को ही बंद कर दिया गया। अब तीनो सेनाओ में पेंशन का मुद्दा ही समाप्त कर दिया गया। कुछ लोगों का मानना है कि अगर केंद्र सरकार की सत्ता में वापसी होती है तो महंगाई भत्ता भी बंद कर दिया जाएगा।
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सातवे वेतन आयोग में सबसे कम फायदा
छटवा वेतन आयोग तत्कालीन केंद्र सरकार में कांग्रेस पार्टी के शासनकाल में लागू किया गया। 1 जनवरी 2006 से इसको लागू किया गया था। कर्मचारियों और पेंशनधारको का मानना है कि इस वेतन आयोग में सबसे बंपर बढ़ोतरी देखने को मिली थी। सातवां वेतन आयोग भाजपा शासन में आया था इसमें केवल 10 से 15% की सैलरी और पेंशन में बढ़ोतरी देखने को मिली। ऐसे में यह बात साफ हो जाती है कि वर्तमान की केंद्र सरकार कर्मचारी विरोधी है। अगर 2024 में सत्ता में वापसी होती है तो आठवां वेतन आयोग नहीं आने वाला है।
Vote soch samaj kar dena bhaio
Bahut kanjus sarkar bjp . Government employees k hit me ni h gov
Ya log bi Jan sava kra free ma ya kyo sailray la Raha h .asi sarkar nahi ani chahiye
अगर कर्मचारी अपनी भलाई चाहते है तो भाजपा को सत्ता से हटाना होगा
कर्मचारियों और पेंशन धारकों को, वर्तमान सरकार से हानि के अलावा लाभ नहीं मिल सकता,दस वर्षों में DA कहां पहुंच गया है और CGHS को ABHA से link करने की योजना क्या है, सरकार स्पष्ट नहीं कर रही हैं।
आप स्वयं जिम्मेदार हैं विचार कर सकते हैं।
Sarkar ka koi irada nhi government employees ki salery ya pensioners k hit me, ye sirf middle class logo ki jeb katkar free rashion denge, taki inko vote me badhat mile, BJP sakar galat kar rahi hai
कर्मचारी विरोधी सरकार महंगाई भत्ता भी खा जायेगी।