पटना हाईकोर्ट ने एक बड़ा फैसला दिया है जिसमें कहाँ है कि अगर कर्मचारी की किसी भी प्रकार की गलती नहीं है फिर भी गलत वेतन निर्धारण होता है जिसकी वजह से अधिक भुगतान हो जाता है तो ऐसे में कर्मचारी से किसी भी प्रकार की वसूली नहीं की जा सकती।
क्या था पूरा मामला
आपको बता दूं की याचिकाकर्ता नंबर 1 विक्रम सिंह को 1978 में क्लर्क के पद पर नियुक्त किया गया था वहीं पर दूसरे याचिकाकर्ता राजेंद्र प्रसाद सिंह को 1972 में क्लर्क की पद पर नियुक्त किया गया था। उसके बाद दोनों याचिकाकर्ताओं को 1996 में हेड क्लर्क के पद पर प्रमोशन दिया गया था।
इसी को लेकर रामशंकर सिंह नाम के एक कर्मचारी ने 2009 में पटना हाईकोर्ट के समक्ष एक रिट याचिका दाखिल की जिसमें उन्होंने दावा किया कि वह दोनों याचिकाकर्ताओं से वरिष्ठ हैं इसलिए उन्हें भी इस तारीख से प्रमोशन दिया जाए।
रामशंकर सिंह की याचिका को देखते हुए हाईकोर्ट ने केंद्रीय डिजाइन संगठन को निर्देश दिया कि वे रामशंकर सिंह की इस शिकायत पर विचार करें।
वसूली के दे दिए आदेश
केंद्रीय डिजाइन संगठन ने राम शंकर सिंह के मामले में विचार किया और जाँच पड़ताल के बाद दोनों याचिकाकर्ताओं की प्रमोशन की तारीख को डिमोशन मे बदल दिया।
याचिकाकर्ता नंबर 1 विक्रम सिंह की प्रमोशन की तारीख 01.01.1996 थी जो बदलकर 01.04.2008 कर दी गई वहीं पर याचिकाकर्ता नंबर 2 राजेंद्र प्रसाद सिंह की प्रमोशन की तारीख 01.01.1996 से बदलकर 01.02.2001 कर दी गई। इसके साथ ही प्रमोशन के कारण जो वेतन का भुगतान किया गया था उसकी वसूली के भी आदेश जारी कर दिया।
हाइकोर्ट में डाली गई याचिका
केंद्रीय डिजाइन संगठन की इस हरकत को देखते हुए याचिकाकर्ताओं ने इस आदेश को चुनौती देते हुए हाईकोर्ट में रिट याचिका दाखिल की। याचिकाकर्ताओ ने तर्क दिया कि इस आदेश को पारित करते समय उन्हें ना तो कोई नोटिस दिया गया और ना ही कोई सुनवाई का अवसर दिया गया। इसके अलावा प्रमोशन विभाग की तरफ से किया गया हमारी तरफ से कोई भी गलत बयानी नहीं की गई।
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पटना हाईकोर्ट का आया आदेश
पटना हाईकोर्ट की सिंगल बेंच के जज राजेश कुमार वर्मा ने कहा कि याचिकाकर्ताओं ने प्रमोशन या वेतन निर्धारण के लिए कोई भी गलत तरीका नहीं अपनाया और ना ही कोई धोखाधड़ी की।
पटना हाईकोर्ट ने कहा कि यहां पर कर्मचारियों की कोई गलती नहीं है, विभाग को पूरी तरह से अवगत होकर प्रमोशन का आर्डर जारी करना चाहिए था ऐसे में विभाग की गलती की वजह से गलत वेतन निर्धारण के कारण कर्मचारियों से वसूली नहीं की जा सकती है।
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सुप्रीम कोर्ट के फैसले का दिया गया हवाला
पटना हाईकोर्ट ने पंजाब राज्य बनाम रफीक मसीह के मामले पर भरोसा जताया, जिस पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि रिटायरमेंट के बाद कर्मचारियों से किसी भी प्रकार की वसूली नहीं की जा सकती। रफीक मसीह के मामले पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि गलत वेतन निर्धारण में अगर कर्मचारी का कोई हाथ नहीं है तो ऐसे में कर्मचारी से वसूली नहीं की जा सकती है।
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