अनिवार्य सेवानिवृत्ति को लेकर DOPT का आदेश जारी, केन्द्रिय कर्मचारियों के साथ बैंक, PSU, स्वायत्त संस्थानों के कर्मचारी होंगे जबरन रिटायर

कार्मिक और प्रशिक्षण विभाग (DOPT) के नियम FR56(j) के तहत जिन कर्मचारियों की उम्र 50 साल या उसके ऊपर हो जाती है या जो कर्मचारी काम मे लापरवाही बरतते है या जिनकी स्थिति संदिग्ध है तो ऐसे कर्मचारियों की समीक्षा की जाती है, समीक्षा पे खरे ना उतरने पर ऐसे कर्मचारियों को FR 56 j नियम के तहत अनिवार्य सेवानिवृत्ति दे दी जाती है। ऐसे में उसी को लेकर एक महत्वपूर्ण आदेश DOPT की तरफ से जारी किया गया है।

DOPT ने इस आदेश में कहा है कि केवल योग्य और प्रभावी कर्मचारी ही केंद्र सरकार की सेवा में बने रहें इसके लिए उनकी समीक्षा की जाती है। FR56(j) का नियम कर्मचारियों की कार्यप्रदर्शन और निष्ठा की समय-समय पर जांच की अनुमति देता हैं।

समीक्षा प्रक्रिया का महत्त्व

केंद्र सरकार के प्रशासनिक ढांचे की कुशलता बनाए रखने के लिए, यह आवश्यक है कि कर्मचारियों की नियमित रूप से समीक्षा की जाए। समीक्षा प्रक्रिया के अंतर्गत, ऐसे कर्मचारियों की पहचान की जाती है जो अपने कार्यों में असफल हो रहे हैं या जिनकी निष्ठा संदिग्ध है। समीक्षा का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि केवल वही कर्मचारी सेवाओं में बने रहें जो मंत्रालयो/विभागों के उद्देश्यों को पूरा करने में सहायक हों और मंत्रालयो/विभागो के लिए मूल्यवान हों। 

समय सीमा का पालन और रिपोर्टिंग प्रक्रिया

कार्मिक और प्रशिक्षण विभाग (DoPT) ने सभी मंत्रालयों और विभागों को निर्देशित किया है कि वे अपने कर्मचारियों की समीक्षा प्रक्रिया को समयबद्ध तरीके से पूरा करें। हर महीने की 15 तारीख तक, कर्मचारियो की समीक्षा कर उसकी रिपोर्ट प्रस्तुत करनी होगी। रिपोर्टिंग प्रक्रिया में समय सीमा का पालन अनिवार्य है, ताकि समीक्षा प्रक्रिया में किसी भी प्रकार की देरी न हो और निर्णय त्वरित और सटीक रूप से लिए जा सकें। रिपोर्टिंग में किसी भी प्रकार की देरी या लापरवाही प्रशासनिक कार्यों में बाधा उत्पन्न कर सकती है, इसलिए इसे सर्वोच्च प्राथमिकता दी जानी चाहिए।

सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों (PSU), बैंकों, और स्वायत्त संस्थानों के कर्मचारियों पे गिरेगी गाज

समीक्षा प्रक्रिया केवल केंद्र सरकार के मंत्रालयों और विभागों तक सीमित नहीं है। DoPT ने यह निर्देश दिया है कि सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों (PSUs), बैंकों, स्वायत्त संस्थानों, और सांविधिक निकायों के कर्मचारियों की भी समीक्षा की जाए। इसका उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि सभी संगठनों में कार्यरत कर्मचारी अपनी जिम्मेदारियों का सही तरीके से निर्वहन कर रहे हैं। जिन कर्मचारियों की निष्ठा संदिग्ध है या जो अपने कार्यों में असफल हो रहे हैं, उन्हें सेवाओं से हटाने का प्रावधान है।

समीक्षा प्रक्रिया का पालन सख्ती से

यह प्रक्रिया सुनिश्चित करती है कि केंद्र सरकार के संगठनों में केवल वही कर्मचारी बने रहें जो कार्यकुशल, ईमानदार, और संगठन के उद्देश्यों को पूरा करने के लिए समर्पित हैं। प्रत्येक संगठन को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि समीक्षा प्रक्रिया का पालन सख्ती से किया जाए और रिपोर्टिंग प्रक्रिया में किसी भी प्रकार की लापरवाही न हो। हालांकि कर्मचारी संघटनो ने इसका विरोध करते हुए कहा है कि इस नियम से केवल अधिकारियों की चापलूसी बढ़ेगी। 

DOPT ने दिए निर्देश

कार्मिक और प्रशिक्षण विभाग (DoPT) ने स्पस्ट निर्देश दिए हैं कि सभी मंत्रालयों, विभागों और संगठनों को समयबद्ध तरीके से कर्मचारियों की समीक्षा प्रक्रिया को पूरा करना होगा। इस कार्य को “सर्वोच्च प्राथमिकता” के साथ पूरा करना आवश्यक है, ताकि संगठन केवल उन्हीं कर्मचारियों के साथ आगे बढ़ सके जो संगठन के लिए मूल्यवान हैं और जो अपनी जिम्मेदारियों को पूरी निष्ठा और दक्षता के साथ निभा रहे हैं। 

इस प्रकार, यह समीक्षा प्रक्रिया केंद्र सरकार के प्रशासनिक ढांचे को सुदृढ़ करने और संगठनात्मक उद्देश्यों को प्राप्त करने के लिए एक महत्वपूर्ण उपाय है।

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