OROP: अब हर साल बढ़ेगी 1.5% पेंशन, 5 साल का झंझट खत्म, भेदभाव खत्म

वेतन और पेंशन के बीच असमानता की समस्या अब अधिक गंभीर होती जा रही है। वर्तमान में, सेवारत कर्मियों को हर वर्ष 3% वेतन वृद्धि मिलती है, जबकि पेंशनभोगियों को इस तरह की वृद्धि का लाभ नहीं मिलता। इस असमानता के कारण “वन रैंक, वन पेंशन” (OROP) के सिद्धांत के तहत पेंशनभोगियों के साथ भेदभाव हो रहा है।

OROP की मूल भावना

वन रैंक, एक पेंशन (OROP) का मुख्य उद्देश्य यह है कि एक ही रैंक में सेवानिवृत्त कर्मियों को समान पेंशन प्राप्त होनी चाहिए, चाहे वे किसी भी समय सेवा से सेवानिवृत्त हुए हों। इसका मतलब है कि यदि सेवारत कर्मियों के वेतन में वृद्धि होती है, तो उसी रैंक के पेंशनभोगियों की पेंशन भी बढ़नी चाहिए।

समाधान के प्रस्ताव

इस समस्या का समाधान यह है कि सेवारत कर्मियों को मिलने वाली 3% वार्षिक वेतन वृद्धि के आधार पर, पेंशनभोगियों को भी उनकी बुनियादी पेंशन में 1.5% की वार्षिक वृद्धि प्रदान की जाए। यह वृद्धि बुनियादी वेतन के 50% के बराबर होगी, जो पेंशनभोगियों को उनके सेवा काल के दौरान प्राप्त होता था।

समाधान के फायदे

  1. इस प्रस्ताव के लागू होने से पेंशनभोगियों को हर पांच साल में पेंशन संशोधन की आवश्यकता नहीं पड़ेगी।
  2. सेवारत और सेवानिवृत्त कर्मियों के बीच असमानता कम होगी।
  3. पेंशन बढ़ाने की प्रक्रिया सरल हो जाएगी और प्रशासनिक बोझ कम होगा।

निष्कर्ष

पेंशनभोगियों के बुनियादी पेंशन में 1.5% वार्षिक वृद्धि का यह प्रस्ताव न केवल OROP की भावना को बनाए रखेगा, बल्कि उन्हें वित्तीय सुरक्षा भी प्रदान करेगा। सरकार को इस प्रस्ताव पर गंभीरता से विचार करना चाहिए और पेंशनभोगियों को समान और न्यायसंगत लाभ प्रदान करने की दिशा में कदम उठाना चाहिए।

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