केन्द्रिय कर्मचारी और पेंशनभोगी लंबे समय से अपनी मांगों को पूरा करने की गुहार केंद्र सरकार के समक्ष करते आ रहे है, लेकिन केंद्र सरकार अड़ियल रवैया अपनाते हुए इन मांगों को दर-किनार कर देती है, चुनाव जीतने के लिए सरकार अपने चुनिंदा लोगों को मुफ्त में सुविधाएं देने की घोषणा करती है लेकिन कर्मचारियो और पेंशनभोगियों के मांगो के प्रति उदासीन रहती है जिससे कर्मचारियो और पेंशनभोगियों को कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है। ऐसे में चलिये जान लेते है कि कर्मचारियो और पेंशनभोगियों की कौन-कौन सी जायज मांग है जो कि पूरी होनी चाहिए और अब तक सरकार का इन मांगों के प्रति क्या रिएक्शन है चलिये जान लेते है।
18 महीने के डीए बकाया का भुगतान
मांग: सरकारी कर्मचारियों और पेंशनभोगियो ने 18 महीने के डीए (महंगाई भत्ता) बकाया का भुगतान तुरंत करने की मांग की है, जो सरकार द्वारा अवैध रूप से रोका गया था।
सरकार की प्रतिक्रिया: इस पर सरकार बार-बार कह चुकी है कि यह बकाया नहीं दिया जाएगा। इसका उपयोग कोरोना काल मे कर लिया गया है इसलिए इसको दिया नही जा सकता।
कम्यूटेड पेंशन की वसूली बंद हो
मांग: कम्यूटेड पेंशन की वसूली 10 साल और 8 महीने में पूरी हो जाती है इसलिए 15 साल की अवधि को घटाकर 10 साल 8 महीना या 11 साल किया जाय।
सरकार की प्रतिक्रिया: इस मामले पर सरकार का रुख स्पष्ट नहीं है, सरकार अभी भी पुराने ढर्रे पर चल रही है, चली आ रही परंपरा के अनुसार इसकी बहाली 15 साल पे होती है जिससे पेंशनभोगियों को लाखों का नुकसान होता है।
सेवानिवृत्ति के बाद 5% पेंशन वृद्धि
मांग: सेवानिवृत्ति के 5 साल बाद सरकार को 5% की दर से बेसिक पेंशन बढ़ानी चाहिए। वर्तमान में यह वृद्धि 80 वर्ष की आयु के बाद होती है, लेकिन बहुत कम पेंशनर्स इस उम्र तक पहुंच पाते हैं।
सरकार की प्रतिक्रिया: ससंदीय समिति की सिफारिश के बाद पेंशनभोगियों का डेटा मंगाया गया लेकिन बाद में इसको ठंडे बस्ते में डाल दिया गया। इस मुद्दे पर सरकार कोई कार्यवाई नही कर रही है।
फिक्स मेडिकल भत्ता (FMA) में वृद्धि
मांग: वर्तमान में ₹1000 प्रति माह के फिक्स मेडिकल भत्ता (FMA) को ₹ 5000 तक बढ़ाया जाना चाहिए। सरकार ने सीजीएचएस (CGHS) अस्पतालों की संख्या को राज्य की राजधानियों तक सीमित कर दिया है, जिससे बाहर रहने वाले लोगों को इस सुविधा का लाभ नहीं मिल पाता और उन्हें केवल ₹1000 प्रति माह की मामूली FMA से संतोष करना पड़ता है।
सरकार की प्रतिक्रिया: इस मामले पर भी सरकार चुप है। सरकार, इस मांग पर मौन धारण करके बैठी है। ना अस्पतालों की संख्या में बढोतरी कर रही है और ना ही फिक्स मेडिकल अलाउंस को बढ़ा रही है।
वरिष्ठ नागरिकों के लिए रेलवे रियायत की बहाली
मांग: कोरोना महामारी के समय से वरिष्ठ नागरिकों के लिए 40% रेलवे रियायत को बंद कर दिया गया है, इसे बहाल किया जाना चाहिए।
सरकार की प्रतिक्रिया: सरकार ने स्पष्ट कर दिया है कि इसे बहाल नहीं किया जाएगा।
पुरानी पेंशन बहाली
मांग: 1 जनवरी 2004 के बाद भर्ती कर्मचारियो के लिए NPS लागू है लेकिन NPS से रिटायर पेंशनभोगियों को मात्र ₹1000, ₹2000 पेंशन से संतोष करना पड़ता है, जिससे कारण उनकी माँग है कि NPS को खत्म करके पुरानी पेंशन बहाल हो।
सरकार की प्रतिक्रिया: सरकार OPS बहाल करने के पक्ष में नही है। NPS में सुधार करने के लिए कमिटी गठित कर दी है लेकिन कमिटी अब तक कोई रिपोर्ट पेश नही कर पाई है।
आठवें वेतन आयोग की कमेटी का गठन
मांग: कर्मचारी संगठनों की मांग है कि आठवे वेतन आयोग की कमेटी का गठन तुरंत प्रभाव से किया जाए। 1 जनवरी 2026 से आठवां वेतन आयोग लागू होना है लेकिन कमेटी अब तक गठित नहीं की गई है।
सरकार की प्रतिक्रिया: केंद्र सरकार आठवे वेतन आयोग की कमेटी के गठन को लेकर उदासीन हैं। बार-बार मौकों पर कह चुकी है की आठवे वेतन आयोग को लेकर कोई भी प्रस्ताव विचाराधीन नहीं है।
EPS-95 पेंशन
मांग: EPS- 95 पेंशनभोगी अपनी पेंशन को बढ़ाने की मांग कर रहे हैं। 7500 पेंशन+ DA करने की उनकी मांग लंबे समय से है।
सरकार की प्रतिक्रिया: सरकार इस पर मौन धारण करके बैठी है। जब सरकार सत्ता में नही थी तब उनकी मांगों को पूरा करने का वादा किया था लेकिन सत्ता में आते ही पेंशनभोगियों के इस मुद्दे को भूल गई है।
पेंशन पर आयकर समाप्त हो
मांग: पेंशनभोगियों की पेंशन पर आयकर नहीं लगाया जाना चाहिए।
सरकार की प्रतिक्रिया: अभी तक सरकार ने इस मांग पर विचार नहीं किया है।
सरकार के कदम और पेंशनर्स की स्थिति
इन सभी कठोर कदमों के कारण पेंशनर्स सबसे अधिक पीड़ित हैं। उन्हें अपनी आय का लगभग 40% कर के रूप में देना पड़ता है। सरकार को इस बात की अच्छी तरह से जानकारी है कि वृद्ध, बीमार और कमजोर पेंशनर्स के पास कोई भी मोलभाव की शक्ति नहीं है। इससे सरकार को इन्हें दबाने और अमीर वर्ग एवं राजनेताओं के शाही जीवन को सुविधाजनक बनाने की पूरी छूट मिल जाती है।
उपरोक्त लिखित में सभी बातों पर सरकार को चिंतन मंथन करना चाहिए ताकि कर्मचारी मन लगाकर अच्छे से काम कर सके
Uper 10 demands mein se sarkar ek bhi demand manne ko tayaar nahi, phir union kya kar rahi hai.
Modi sarkar kewal bare udyog pati neta our apne pati ke liye sochati hai..n ki midil o garibo ke liye…
This government is not working for staff. They’re working for his family and friends
Fixation of OROP must be on latest pension and not on the basis of avarage of five years as all pensioners getting loss as per this system and should be revised by after 2 years
Jai Hind Jai Bharat
मैंने पहले भी अपनी प्रतीक्रिया में लिखा था कि इस सरकार से किसी तरह की उम्मीद करना बेकार है।इसलिए इस टापिक को बंद कर दो।ना झूठी तसली दो।
Right
सेना में रहते है तो टोलटेक्स नही हैं पेंशन आने क़े बाद कयो जो कि नहीं होना चाहिये .
If Govt. is not positive about the govt employees welfare who make the govt, run the govt. and just busy in self-care, a day will come that there will be no govt.
Vartman sarkar is vishay par kuchh nhi kregi aap lo chillaye rho koi faida nhi ho. Yeh sarkar karmchari aur pensioners k khilaf rhi hi next sarkar jo bhi aayegi woh sarkar is vishay par jaroor charcha krgi aur amal bhi kregi
This govt is not going to do anything in respect of govt employees and pensioners which demands we are continuing place to floor of govt table. In the past Congress govt never denied to give the service benefits to their employees and pensioners. This is the difference between BJP n Congress Govt.
Modi Sarkar is in stall position to decide the above demand despite the Opposition strongly questioned in Lok Sabha and Rajya sabha but no results.
Let us see what Modi Sarkar will decide to consider.
This attitude of Central Government seems to be against the Government servants to fullfill the demands.
Mainly Low Paid Government Pensioners are in harrasment position in this hard days.
ये दंगाई सरकार कुछ नहीं देगी इतनी आसानी से भाई ।।। कोर्ट जाओ या आमने सामने आ जाओ तब बात बनेगी ।।।। यू गिड़गिड़ाने से कुछ नहीं मिलने वाला ।। ये अनपढ़ दंगाई बंदरो का टोला है भाईजान ।। साफ साफ लिख रहा हु बुरा मानने की जरूरत नहीं । समझ नहीं आ रही 10 साल में कुछ नहीं समझे आप लोग ।। यू ट्यूब पे वीडियो डालने वाले बूढ़े रिटायर्ड कर्मचारियों को बेवकूफ बना रहे 2021 से शर्म आनी चाहिए उनको ।। या तो कोर्ट या आर पार की जंग ।।
Is Election Mein Modi Ko Poori Seats Nahi Aayi So Agle Election Mein Modi Jee Aur BJP Ka Supda Saaf Ho Jayega Dekhte Jaye.
Sir,
Myself and my fellow Pensioners views already mentioned and nothing more to say in this regards.
However, Our views on the subject, one sentence is:-
BINASA KALA BEBA REED BUDHI?
2014 से पहले कम से कम कर्मचारियों और पेंशनरों की जायज़ मांगों पर सुनवाई तो होती थी
Modi ji ke rahtey ya kahiye ki NDA ki sarkar rahetey karamchario ko kuchh bhi nahi milega.Han ji mil raha hai woh bhi chhin sakta hai.Modi jumle aur jhoot bolne me maharat rakhta hai usne jaise taise sarkar babali jubki uski NDA ka neta bhi nahi chuna Gaya tha.NDA ke MPs sub nikamme hain jo uske samne murgey Bane huye hain.Dhikkar hai aise MPS ko.
बीजेपी सरकार वरिष्ठ नागरिक को के लिए कुछ भी नहीं दे रही हैं अतः इसे वोट नहीं किया जा सकता है
बीजेपी सरकार झूठे वादे के अल्वा कुछ भी नहीं कर सकती है
सरकार हमारी प्रवृृति जानती है । बड़ी आसानी से बहुत कुछ और सब कुछ पाना चाहते हैं । न समय खर्च करना चाहते हैं और न ही पैसा। How many people dared to go for justice after Brave Shila Devi & others and Ramsaroop Jindal ?
Union ka andolan ruk gya hai, andolan karne wale leader kamzor hai jo nai nahi dila sakte,,R par ka larai larni hogi?parantu eisa nahi ho raha hai?jab leader sahi nahi hai to chup karke rahna hoga,,,
Modi ji agar central govt ke pensioners and employees ka nhi sunoge to kya ab koi election jeetana nhi chahte hum log bahut 18 mahine ke DA arear, 10 saal 8 mahine par pension bahali aur 8th pay commission ko lekar bahut dukhi hain agar is par Modi ji aapne dhyan nhi diya to aapki sarkar banwane log bhi aapko vote nhi denge ise bahut gambheerta se li jiye