मध्य प्रदेश हाई कोर्ट ने एक महत्वपूर्ण फैसले में कहा है कि जैसे ही कोई पेंशनभोगी 79 वर्ष की उम्र पूरी करता है और 80 में प्रवेश करता है, वैसे ही उसे अतिरिक्त पेंशन (Additional Pension) मिलनी चाहिए। न्यायमूर्ति आनंद पाठक की अध्यक्षता वाली बेंच ने राज्य सरकार को निर्देश दिया कि वह एक सेवानिवृत्त डॉक्टर को एक महीने के भीतर बढ़ी हुई पेंशन का भुगतान करे।
क्या था पूरा मामला
डॉ. के.के कौल, जो इस मामले में याचिकाकर्ता थे, उन्होंने जून 1991 में नेताजी सुभाष चंद्र बोस मेडिकल कॉलेज, जबलपुर के डीन के पद से सेवानिवृत्ति ली थी। उनके आधिकारिक रिकॉर्ड के अनुसार, उनकी जन्मतिथि 13 अक्टूबर 1932 है। डॉ. कौल ने अदालत में याचिका दायर की थी कि उन्होंने 79 वर्ष की आयु पूरी कर ली है, लेकिन पेंशन में वृद्धि का लाभ उन्हें अभी तक नहीं मिला है।
पेंशन नियमों के अनुसार वृद्धि का प्रावधान
मध्य प्रदेश सिविल सेवा पेंशन नियमों के अनुसार, 80 से 85 वर्ष के बीच के पेंशनभोगियों को 20% अतिरिक्त पेंशन, 85 से 90 वर्ष के बीच 30% अतिरिक्त पेंशन, 90 से 95 वर्ष के बीच 40% अतिरिक्त पेंशन, और 95 से 100 वर्ष के बीच 50% अतिरिक्त पेंशन मिलती है। 100 वर्ष की आयु के बाद पेंशन में 100% की वृद्धि का प्रावधान है।
यह भी पढे: अब फटाफट होगा पेंशन से जुड़ा काम, DOPPW ने किया खुशखबरी का ऐलान, तोहफा जारी
सरकार के गणना फॉर्मूले पर विवाद
याचिकाकर्ता के वकील, आदित्य सांघी ने अदालत के सामने यह तर्क रखा कि राज्य सरकार पेंशन में वृद्धि की गणना तब कर रही है जब कोई व्यक्ति 80 वर्ष की आयु पूरी करता है, जबकि 79 वर्ष की आयु पूरी कर 80वें वर्ष में प्रवेश करते ही वह 20% पेंशन बढोतरी का हकदार हो जाता है। अतः 80 में प्रवेश करते ही पेंशन बढोतरी की जाय। वकील ने कहा कि सरकार के बनाये फॉर्मूले के कारण कई पेंशनभोगियों को उनके अधिकार से वंचित रखा गया है।
अदालत का निर्णय और आदेश
न्यायमूर्ति आनंद पाठक की अध्यक्षता में उच्च न्यायालय की बेंच ने दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद यह निर्णय लिया कि सरकार की गणना पद्धति उचित नहीं है। अदालत ने राज्य सरकार को निर्देश दिया कि वह याचिकाकर्ता को 80 वर्ष में प्रवेश करने के आधार पर पेंशन का भुगतान करे। कोर्ट ने कहा कि एक महीने के भीतर पिछली अवधि की बढ़ी हुई पेंशन राशि का भुगतान करे।
यह भी पढे:
सरकारी पेंशनर्स को बड़ा तोहफा, अब 25000 रुपये तक की मिलेगी छूट, 60% पेंशन का तोहफा
केंद्र सरकार का बड़ा फैसला
ऐसे में केंद्र सरकार को भी इसके ऊपर फैसला लेना चाहिए और 79 वर्ष की उम्र पूरी करने के बाद 80 में प्रवेश करते ही 20% बढ़ोतरी का फायदा देना चाहिए। फिलहाल पेंशन से संबंधित एक और मामले में, केंद्र सरकार ने हाल ही में लोकसभा में स्पष्ट किया कि राष्ट्रीय पेंशन प्रणाली (NPS) से पुराने पेंशन योजना (OPS) में स्विच करने की समय सीमा बढ़ाने का कोई प्रस्ताव नहीं है। 1 जनवरी, 2004 के बाद नियुक्त किए गए केंद्रीय सरकारी कर्मचारियों के लिए NPS अनिवार्य है। इसके लिए स्विच करने की अंतिम तिथि 31 अगस्त, 2023 और निर्णय लेने की अंतिम तिथि 30 नवंबर, 2023 थी।
यह भी पढे:
पेंशनभोगियों के साथ भेदभाव खत्म , 80 साल से पहले मिलेगी 20% पेंशन बढ़ोतरी का फायदा
पेंशनधारकों को तोहफा, हर 5 साल में 5% बढ़ेगी पेंशन, 65 साल से मिलेगा Additional Pension का फायदा
What about splitting up the pension instead of 20pc at 80 yrs to revise attaining at the age 65yrs 5pc, 70yrs 10pc, 75 yrs 15pc and 80yrs 20pc likewise as proposed by Cabinet Secretary for approval earlier in 2nd term o Modi Sarkar. Again Modi Sarkar is ruling 3.0 term but the fitment factor of 7th CPC and constitution of 8th CPC has not yet been decided which seems to be painful for low paid Employees and Pensioners. More over no consideration has been made to release 18 months arrear DA and DR for which the low paid Pensioners are mostly suffering a lot due to acute financial problem in this hard days.
Modi Sarkar may kindly be considered.
80 years ke upar koi jeenda rahetanahi eslaka matlub sarkar ko paisa dena nahi
Lagta hai sarkaar marne ke baad ka prabandh karti hai logon ke jinda rahane ki uneh koi chinta nahin. 80 saal ke baad 20percent pension hike ka niyam bana hai kintu har 5saal baad 5 percent badhane me bandish. Aesa kyon?
Sir,
How many Central or State Govt Pensioners are alive 80 to 100 and beyond 100 years of age after Retirement?
I must say nominal that to countable in hands?
These orders are an eye wash and to making fools to Pensioners by both Government and Pay Commission
In other words “Hide and Seek” Game?
If the Government both Central and States are actually wants to helps poor pensioners who all are fully depend upon their only nominal pension, in which half of their pension amounts are being utilized/expended for their Medical Treatment, Laboratory tests, Medicine etc, owing to old age diseases of both Wife and husband,
If the pay commission is wants to keep name and save money of Exchequer, better to make rule that 100% Pension to Pensioners if alive beyond the age of 100 years.
By the way of Rule, the Elected Government have to get credit and least minimum expenditure of 1% of Pensioners, may alive beyond 100 years that to one or two years?
I don’t know why these Rules are made? And what purpose and fir whom?
I heard in my service that the “RULES ARE MADE FOR FOOLS” Other intelligent,brillant, left and rights of Politicians and Officers the rules don’t applicable/required to reep any benefits out of Rules?
Why the Pay Commission did not specifically mentioned the percentages of additional Pension to Pensioners at the age of 61 to 79 years @ 1% additional pension every year after Retirement of 60 years?
In the eyes of Pay Commission and the Government, the Pensioners who are not alive beyond 80 or above were culprits, thereby a small punishment to them?
I wondered even after clear orders through judgement by Honourable High Courts of various States, CJI, and recommendations from their Sister Ministries based on the request from various Recognized Unions and Association, the BJP Government at Central didn’t implement and thrown it into Arabian sea?
This BJP Government is set an example to public that to” RESPECT and obey the orders of Constitution and Court Judgement”?
What kind of Politicians are in our Country?
Take it guarantee that the Government have to face the consequences and to pay heavy penalty for their EGO?
WAIT AND SEE?
Thanks.
Bank retired man ko pension kitna present milega rewise hoga
I have given the case to lawyer.Thank you for informing the decision of Hon.High court .if you can डिस्प्ले the court order it will be benificial.