इलाहाबाद हाईकोर्ट ने अपने एक फैसले में कहा किे Pension देना सरकार के आशीर्वाद या कृपा के उपर अवलंबित नहीं है, बल्कि यह पेंशनभोगियों का संवैधानिक अधिकार है, इसे देने से इनकार नहीं किया जा सकता। यह फैसला जज प्रकाश पाड़िया ने दिया। क्या था पुरा मामला चलिए विस्तार मे जान लेते है।
Pension को लेकर था पुरा मामला
याची छाया के पति नगरनिगम मे सफाईकर्मी थे, जिन्हे रिटायरमेंट बेनिफिट और Pension का लाभ नही मिला था। लंबे समय इंतजार करने के बाद पता चला किे नगर निगम ने जानबुझ कर इसका भुगतान नही किया। उसके बाद याची ने रिटायरमेंट बेनिफिट और पेन्शन पाने के लिए इलाहाबाद हाईकोर्ट में याचिका डाली।
इलाहाबाद हाईकोर्ट का आया बड़ा फैसला
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने जब इस केस को सुना तब नगर निगम को फटकार लगाई और कहां कि कर्मचारियों को पेंशन देना उसकी लंबी सेवा का पुरस्कार नहीं है बल्कि यह सरकार का बाध्यकारी कर्तव्य है। कर्मचारी अपने अधिकार के तौर पर इसका दावा कर सकता है, यह उनका मौलिक अधिकार है।
हाई कोर्ट ने नगर निगम को लगाई फटकार
हाईकोर्ट ने नगर निगम के आयुक्त को फटकार लगाई और पूछा की दिसंबर 2023 तक ऐसे कितने कर्मचारी हैं जिनको सेवानिवृत्ति लाभ रिटायरमेंट बेनिफिट का भुगतान नहीं किया गया है। हाईकोर्ट ने कहां की बहुत सारे केस हाईकोर्ट में लंबित है जिनको भुगतान किये जाने की जरूरत है। हाईकोर्ट ने लंबित याचिकाओं का उल्लेख करते हुए जानकारी मांगी किे नगर निगम सेवानिवृत्ति लाभ प्रदान करने के लिए क्या कार्रवाई करेगा।
सुप्रीम कोर्ट के फैसले का दिया गया हवाला
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने के. आर. सुंदरम बनाम तमिलनाडु राज्य व अन्य के केस में दिए गए सुप्रीम कोर्ट के फैसले का हवाला भी दिया जिसमे सुप्रीम कोर्ट ने कहा था किे पेंशन को रोका नहीं जा सकता है, पेंशनभोगी पेंशन से ही अपनी आजीविका चलाते हैं ऐसे में रिटायरमेंट बेनिफिट और पेंशन को रोकना गैरकानूनी है।
इलाहाबाद हाईकोर्ट इसके पहले भी दे चुकी है बड़ा फैसला
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने इसके पहले भी इस तरह के फैसले दिये है। एक बडे फैसले मे कोर्ट ने कहा था कि पेंशन एवं ग्रेच्युटी कर्मचारी का मूल्यवान अधिकार है। यह सरकार द्वारा दिया जाने वाला उपहार नहीं है। कोर्ट ने कहा था कि यदि पेंशन और ग्रेच्युटी भुगतान में अनावश्यक देरी होती है तो कर्मचारी, भुगतान पर ब्याज पाने का अधिकार है।
हिमाचल हाईकोर्ट का भी दे चुकी है बड़ा फैसला
हिमाचल हाईकोर्ट ने पेंशन अदायगी में देरी होने पर विभाग के कर्मचारियों व अधिकारियों से ब्याज की वसूली करके पेंशनभोगी को दिये जाने की वकालत की। कोर्ट ने अपने निर्णय में स्पष्ट किया था कि ब्याज की राशि दोषी अधिकारियों से वसूली जाए। कोर्ट ने अपने निर्णय में कहा था कि रिटायरमेंट लाभों के भुगतान में देरी होने से कर्मचारी ब्याज का हकदार हो जाता है।
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बॉम्बे हाईकोर्ट भी दे चुकी है इस तरह का फैसला
पेंशन को लेकर बॉम्बे हाईकोर्ट ने भी कहा था कि पेंशन एक मूलभूत अधिकार है और रिटायर कर्मचारियों को इसके भुगतान से वंचित नहीं किया जा सकता। पेंशन के द्वारा पेंशनभोगी अपनी और अपने परिवार की आजीविका चलाते है इसलिए इसको देने से इन्कार नही किया जा सकता।
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छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने दिया था बड़ा तोहफा
छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने कहा था कि कर्मचारी की ग्रेच्युटी और रिटायरमेंट लाभ उसकी संपत्ति और संवैधानिक अधिकार है। इसके भुगतान में देरी होने पर वर्तमान बाजार दर के साथ ब्याज के साथ कर्मचारी/पेंशनभोगी को भुगतान किया जाना चाहिए।
इन फैसलो के क्या है मायने
अलग-अलग कोर्टो के द्वारा दिये गए सारे फैसले कर्मचारियों और पेंशनधारकों के हित में आते है। इन सारे फैसलों से यही पता चलता है कि कर्मचारी जब सेवा से रिटायर होता है तो सेवा का फल उनको पेंशन और रिटायरमेंट बेनिफिट के रूप में मिलना चाहिए। इसको देंने से इनकार नही किया जा सकता। किसी विकट समय मे भी पेन्शन को रोका नही जाना चाहिये।
इस तरह के आदेश से साफ पता चलता है कि पेंशन सभी का हक़ है। 1 जनवरी 2004 के बाद जो भर्ती हुए है उनको भी पेंशन मिलना चाहिए। पेंशन से उनको वंचित नही किया जा सकता। आपको बता दूँ की 1 जनवरी 2004 के बाद भर्ती कर्मचारियों को पुरानी पेंशन की जगह नई पेंशन दी जाती है। इसमे नाममात्र पेंशन मिलती है। जिससे किे कर्मचारी का गुजारा भी नही हो पाता।
पेंशन और ग्रेच्युटी समय से अर्थात सेवानिवृत्ति के 3 माह के अंदर न दिए जाने पर ब्याज दिये जाने का शासनादेश उपलब्ध है, किंतु व्यवहारिक रूप से उस शासनादेश का पालन नहीं किया जाता और ब्याज नहीं दिया जाता।यह सरासर अन्याय एवं उत्पीड़न है। ऐसे मामलों में ब्याजंका भुगतान करने के अतिरिक्त दोषी अधिकारियों एवं कर्मचारियों के विरुद्ध कड़ी कार्यवाही भी की जानी चाहिए।
जी सही बात है कई बाबू घुस भीं मांगते हैं
श्रीमान जीवन लाल पाण्डेय जी सेवा निवृत्ति के 3 माह बाद पेंशन और ग्रेच्युटी नहीं दिया जाने के बाद ब्याज दिया जाना के शासनादेश की प्रतिलिपि अगर आपके पास या अन्य किसी और साथी के पास मिल सकती है क्या यदि संभव हो तो मुझे भी दिलवाई जाए किसी साथी का भला हो सकता है
अलग अलग हाई कोर्ट के फैसले कर्मचारियों के हक में दिए गए हैं , परंतु सरकार इन फैसलों को नजरंदाज करती हैं जोकि इन आदेशों की आवमन्या है, पेंशन को रोक कर कर्मचारियों को नुकसान पहुंचा रही हैं।
Sir ,
Mera ppo no. BRPAT00064757 HAI .mujhe abi tak August, Sept, 0ct 2023 ka arear nahi Mila bank aur epfo patna me bhut bar Gaya but solution nahi hua pls help me . Bank hdfc boring canal road Patna.
Sanat Kumar saha
Patna bihar
आप अपनी शिकायत मानवाधिकार आयोग पटना को भेजें; पदाधिकारी को आदेश होगा और शीघ्र ही
सम्बन्धित अधिकारियों को उसका भुगतान करना पड़ेगा।देर के लिये सूद के साथ भुगतान करना पड़ेगा।
Those government employees who retire on 30th June, don’t get periodical (annual) increment,though they have completed 12 months of service. Government should also think about it.
Sir I Ex WO VIJAI NARAIN SINGH SN-653064-N X Group, 26years of service DDD-31-12-2005 am an IAF Pensioner.Even after so many reminders of MOD and RBI, still l am getting OROP 1. pension.I am getting pension from SPARSH wef 01-0902023.Neither PDA,before31-08-2023had paid me OROP2 arrears nor Sparsh So far.Also Neither PDA nor SPARSH So far actioned my basic from Rs 32948/to Rs 33700/as per OROP2 Table no 17. Court directives should be followed and arrears should be paid to pensioner with interest from 01-07-2019.
में 30 जून केन्द्रीय कर्मचारी भारतीय सवेछण विभाग के दिल्ली कार्यालय से रिटायर्ड हुआ हूँ 30 जून 2021 मे रिटायर्ड केन्द्रीय कर्मचारी के रूप में हुआ हूँ एक बर्ष की पूरी सेवा के पश्चात भी नोशनल इनक्रिमेनट नही मिला है मुझे उपाय वताये कया करना चाहिए मुझे
खबरों से संबंधित केस नंबर आदि से संबंधित अन्य विवरण भी पोस्ट किया जाना चाहिए
bina ghoos ke koi kaam nhi hota hai mene apni pension revision ke liye spne vibhaga adhyaksh ko likh kar bheja ek saal se adhik ho gya koi sunbai nhi hui hai abhitak office me jane par ghoos mangte hai babu log jo ki upar ke adhikari ko bhi hissa dete hai ye haal u.p ka jaha yogiji jesse cm hai
कोर्टे अपने आदेश मे कह रही है कि पेंशन कर्मचारी का हक है महरवानी नही ।परन्तु सहकारिता विभाग उत्तर प्रदेश यह मानने को तैयार ही नही । आदेश सं0 1381/49+16 4(54) 16 दिनांक 26 अगस्त 2016 के पैरा 8 भाग एक से सगह लिपिक चालक व सहयोगियो को सेवानिवृत के बाद पेन्शन का प्राविधान है परन्तु इस आदेश के बाद सेवानिवृत को पेन्शन दी जा रही है इस आदेश से पूर्व सेवानिवृत कर्मचारियो को नही शायद इन पर न तो कोर्ट का न ही भारतीय संविधान (समानता) का कानून लागू होता । अतः मेरा अनुरोध है कि हमारी आयु को ध्यान मे रखते हुए पेन्शन बहाल करने की कृपा करे ससम्मान प्रेसित।
योगेन्द्रसिह पुत्र महेंद्र सिंह
गांव अल्लीपुर गिझौरी डा चन्देरू जिला बुलन्दशहर T 9910838436
Mere papa up roadways mein the unko bhi vibhaag se pension nahin milti unhone 37 saal tak service ki ab hum kiya kare