यह मामला “Writ Petition No. 32177 of 2024” से संबंधित है, जो कम्युटेशन रिकवरी पे रोक लगाता है। यह पिटीशन तेलंगाना उच्च न्यायालय के समक्ष प्रस्तुत किया गया था। याचिकाकर्ताओं ने अपनी सेवानिवृत्त पेंशन से जुड़े मुद्दों पर राहत मांगी। अदालत ने इस मामले में कई महत्वपूर्ण आदेश पारित किए हैं, जिनका उद्देश्य पेंशनभोगियों के हितों की रक्षा करना है।
मामले का संदर्भ
पृष्ठभूमि:
- याचिकाकर्ताओं में विभिन्न सेवानिवृत्त सरकारी कर्मचारी शामिल हैं, जिन्होंने पेंशन के आंशिक अग्रिम (Commutation of Pension) की गणना और पुनर्स्थापन से संबंधित विसंगतियों को चुनौती दी।
- उन्होंने Telangana Civil Pensions (Commutation) Rules, 1944 के तहत 15 वर्षों के बजाय 11 साल 3 महीने (135 किश्तों) में पेंशन पुनर्स्थापन की मांग की।
प्रमुख मुद्दा:
- पेंशन से कटौती और पुनर्स्थापन की प्रक्रिया पर 8% वार्षिक ब्याज के साथ 15 वर्षों तक कटौती करना याचिकाकर्ताओं ने “अवैध और अनुचित” बताया।
- उन्होंने इस नीति को अनुच्छेद 14 (समानता का अधिकार), अनुच्छेद 16 (रोजगार में समानता) और अनुच्छेद 21 (जीवन का अधिकार) का उल्लंघन कहा।
अदालत का आदेश
1. अंतरिम संरक्षण:
- अदालत ने यह आदेश दिया कि अगले सुनवाई तक याचिकाकर्ताओं की पेंशन से किसी भी तरह की कटौती नहीं की जाएगी।
- इसी प्रकार के मामलों में अन्य उच्च न्यायालयों (पंजाब और हरियाणा, केरल, इलाहाबाद, जम्मू और कश्मीर) द्वारा दिए गए अंतरिम आदेशों का उल्लेख करते हुए, याचिकाकर्ताओं को समान संरक्षण प्रदान किया गया।
2. आदेश का व्यापक प्रभाव (Order in Rem):
- अदालत ने निर्देश दिया कि इस आदेश का लाभ सभी समान स्थिति वाले सेवानिवृत्त राज्य सरकारी कर्मचारियों को मिलेगा, चाहे उन्होंने अदालत में याचिका दायर की हो या नहीं।
3. सरकारी अधिकारियों के लिए निर्देश:
- सरकार के संबंधित विभागों को आदेश दिया गया है कि इस अंतरिम संरक्षण को लागू करें और इस संबंध में यथासंभव सख्त अनुपालन सुनिश्चित करें।
प्रमुख निष्कर्ष
- अन्य समान याचिकाएँ:
- अदालत ने यह भी उल्लेख किया कि इस मुद्दे पर बड़ी संख्या में याचिकाएँ दायर की गई हैं।
- इन सभी मामलों को समान आधार पर विचार करने का निर्देश दिया गया।
- अगली सुनवाई की तारीख:
- यह मामला 11 दिसंबर 2024 को W.P. No. 26042/2024 के साथ संयुक्त सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किया गया है।
प्रभाव और महत्व
- पेंशनभोगियों को राहत:
- इस आदेश से याचिकाकर्ताओं और अन्य समान स्थिति वाले कर्मचारियों को वित्तीय सुरक्षा सुनिश्चित हुई है।
- यह पेंशन पुनर्स्थापन और कटौती से संबंधित नीतियों के पुनः मूल्यांकन का मार्ग प्रशस्त कर सकता है।
- समानता का सिद्धांत:
- आदेश में उल्लेखित “Order in Rem” नीति के कारण, सभी प्रभावित कर्मचारियों को इस आदेश का लाभ मिलेगा।
- सरकार की जिम्मेदारी:
- अदालत ने संबंधित विभागों को स्पष्ट निर्देश दिए हैं कि वे आदेश के अनुपालन में किसी भी प्रकार की लापरवाही न करें।
निष्कर्ष
तेलंगाना उच्च न्यायालय का यह आदेश न केवल याचिकाकर्ताओं के लिए बल्कि सभी समान स्थिति वाले पेंशनभोगियों के लिए राहत प्रदान करता है। यह निर्णय पेंशन पुनर्स्थापन से जुड़े जटिल मुद्दों को हल करने और समानता के अधिकार को बनाए रखने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।