Today Pension News: मुंबई हाईकोर्ट ने पेंशन का भगुतान नहीं किए जाने के एक मामले में सुनवाई करते हुए इसे कर्मचारी का मूलभूत अधिकार बताया है। मुंबई हाईकोर्ट ने कहा कि सालों तक बेदाग सर्विस करने वालों की पेंशन नहीं रोकी जा सकती है। कोर्ट ने कहा पेंशन कर्मचारी की मेहनत का फल होता है। उसकी आजीविका उसी से चलती है।
पेंशन कर्मचारी का मूलभूत अधिकार
मुंबई हाई कोर्ट ने कहा है कि पेंशन एक मूलभूत अधिकार है और रिटायर कर्मचारियों को इसके भुगतान से वंचित नहीं किया जा सकता क्योंकि ये उनके लिए आजीविका का एक प्रमुख स्रोत है। कोर्ट ने एक कर्मचारी की रिटायर के बाद दो साल से अधिक समय तक उनका बकाया रोके रखने के लिए महाराष्ट्र सरकार को फटकार लगाते हुए यह टिप्पणी की।
जस्टिस जी एस कुलकर्णी और जस्टिस जितेंद्र जैन की खंडपीठ ने 21 नवंबर को कहा कि ऐसी स्थिति नही आनी चाहिए। कोर्ट में जयराम मोरे द्वारा याचिका डाली गई थी जिस पर कोर्ट सुनवाई कर रही थी।
कोर्ट ने जताई नाराजगी
मुंबई हाईकोर्ट ने महाराष्ट्र सरकार को उसकी पेंशन राशि जारी करने का आदेश दिया है। मुंबई हाईकोर्ट ने कहा कि मोरे ने सराहनीय और बेदाग सर्विस की है, फिर भी उनकी रिटायरमेंट (मई 2021) से दो साल की अवधि के लिए तकनीकी आधार पर उन्हें पेंशन का भुगतान नहीं किया गया।
मोरे ने कोर्ट में दलील दी कि राज्य सरकार के संबंधित विभाग को सभी जरूरी डॉक्यूमेंट जमा करने के बावजूद पेंशन का भुगतान नहीं किया जा रहा है।
कोर्ट ने दिया फैसला
मुंबई हाईकोर्ट ने कहा कि मौजूदा कार्यवाही की शुरुआत से ही हम सोच रहे थे कि कोई भी व्यक्ति जो लंबी बेदाग सेवा के बाद रिटायर होता है। क्या उसे लगभग 30 वर्षों की लंबी सेवा प्रदान करने के बाद ऐसी दुर्दशा का सामना करना चाहिए। कोर्ट ने कहा कि क्या पेंशन के मूल अधिकार से कर्मचारी को वंचित किया जाना चाहिए, जो उसके लिए आजीविका का एकमात्र स्रोत है। पेन्शन कर्मचारी की सेवा का फल होता है उसे देने से इनकार नही किया जा सकता!
सुप्रीम कोर्ट भी दे चुकी है फैसला
ऐसे ढेरो मामले देखे गए है जिसमे कर्मचारी पूरी सेवा बेदाग सर्विस करने के बाद रिटायर होता है फिर भी सरकारे पेंशन भुगतान से वंचित कर देती है । आखिरकार न चाहते हुए भी कर्मचारी को अपने अधिकारों को लेने के लिए कोर्ट का रुख करना पड़ता है। ऐसे में सुप्रीम कोर्ट भी कह चुकी है पेंशन कर्मचारी का हक़ होता है, रिटायरमेंट के बाद पेंशन से कर्मचारी को वंचित नही किया जा सकता!
ब्याज के साथ करना होगा भुगतान
सुप्रीम कोर्ट अपने फैसले में बार बार कहते आयी है कि अगर कर्मचारी के ऊपर कोई भी विभागीय या अनुशासनात्मक कार्यवाई विलम्बित नही है तो पेंशन भुगतान में देरी नही होनी चाहिये अगर देरी होती है या पेंशन रोकी जाती है तो इसका 6% ब्याज के साथ भुगतान करना पड़ेगा। ऐसे में पेंशन का काम करनेवाले अधिकारियों से ही ब्याज वसुल कर पेंशनधारक को भुगतान किया जाएगा!
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