8वें वेतन आयोग: फिटमेंट फैक्टर 1.92 या 2.86 पर चर्चा, कर्मचारियों को बड़ी राहत

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में केंद्र सरकार ने 16 जनवरी 2025 को 8वें वेतन आयोग के गठन को मंजूरी दे दी। इस फैसले ने लाखों केंद्रीय कर्मचारियों और पेंशनभोगियों को राहत की सांस दी है। नए वेतन आयोग के तहत कर्मचारियों की सैलरी और पेंशन में बड़े बदलाव की उम्मीद है।


8वें वेतन आयोग फिटमेंट फैक्टर में बदलाव की संभावना

फिटमेंट फैक्टर वह गुणांक है जो सरकारी कर्मचारियों और पेंशनभोगियों के वेतन को निर्धारित करने में उपयोग किया जाता है।

पिछले वेतन आयोगों के दौरान फिटमेंट फैक्टर:

  1. 6वां वेतन आयोग (2006):
    • फिटमेंट फैक्टर: 1.86
    • न्यूनतम वेतन: ₹7,000
  2. 7वां वेतन आयोग (2016):
    • फिटमेंट फैक्टर: 2.57
    • न्यूनतम वेतन: ₹18,000
  3. 8वां वेतन आयोग (संभावित 2026):
    • अपेक्षित फिटमेंट फैक्टर: 2.86
    • अनुमानित न्यूनतम वेतन: ₹50,000 से ₹60,000

फिटमेंट फैक्टर की गणना और वेतन में वृद्धि

फिटमेंट फैक्टर के आधार पर कर्मचारी के वेतन की गणना की जाती है।

उदाहरण:

यदि किसी कर्मचारी की मौजूदा बेसिक सैलरी ₹18,000 है

  • 8वें वेतन आयोग के तहत (2.86 के फिटमेंट फैक्टर के साथ): ₹18,000 × 2.86 = ₹51,480

8वें वेतन आयोग से क्या होगा फायदा?

  1. सैलरी में महत्वपूर्ण वृद्धि: न्यूनतम वेतन ₹50,000 तक बढ़ने की संभावना।
  2. भत्तों में वृद्धि: महंगाई भत्ता (DA), यात्रा भत्ता (TA) और अन्य भत्तों में भी सुधार।
  3. पेंशनभोगियों को राहत: फिटमेंट फैक्टर में वृद्धि से पेंशनभोगियों की मासिक पेंशन में वृद्धि होगी।
  4. आर्थिक सशक्तिकरण: कर्मचारियों की क्रय शक्ति (Purchasing Power) में वृद्धि होगी।

फिटमेंट फैक्टर: 1.92 बनाम 2.86

1.92 और 2.86 दोनों पर चर्चा चल रही है।

  • यदि 1.92 फिटमेंट फैक्टर को मंजूरी मिलती है, तो न्यूनतम वेतन लगभग ₹35,000 तक होगा।
  • 2.86 फिटमेंट फैक्टर से वेतन ₹50,000 से अधिक हो सकता है।

8वें वेतन आयोग की स्थापना और कार्यान्वयन

  • 7वां वेतन आयोग 1 जनवरी 2016 से लागू हुआ था।
  • 8वां वेतन आयोग 1 जनवरी 2026 से लागू होने की संभावना है।
  • नए आयोग की सिफारिशों को लागू करने में लगभग डेढ़ वर्ष का समय लग सकता है।

निष्कर्ष

8वें वेतन आयोग के गठन और फिटमेंट फैक्टर में वृद्धि से कर्मचारियों और पेंशनभोगियों को बड़ी राहत मिलेगी। यह न केवल उनकी सैलरी में सुधार करेगा, बल्कि भारतीय अर्थव्यवस्था में उपभोक्ता मांग को भी बढ़ावा देगा। हालांकि, अंतिम सिफारिशें क्या होंगी, यह देखना अभी बाकी है, लेकिन उम्मीद है कि यह कदम सरकारी कर्मचारियों के जीवन स्तर को बेहतर बनाएगा।

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