कर्मचारी पेंशन योजना (EPS) के सदस्य नवंबर 2022 के सुप्रीम कोर्ट के फैसले के कार्यान्वयन का इंतजार कर रहे हैं। EPFO, जिसके ऊपर हायर पेन्शन के लिए लाखों आवेदन पत्रों को संसाधित करने की जिम्मेदारी है वह अभी भी कर्मचारियों की कमी का हवाला दे रहा है और अभी भी यह तय करने की कोशिश कर रहा है कि हायर पेंशन की गणना कैसे की जाए वही पे पेन्शनभोगी इस इंतजार मे है किे उनको कब मिलेगी बढी पेंशन?
हायर पेन्शन के लिए आवेदन प्रक्रिया और संख्या
EPFO के पास हायर पेंशन के लिए कुल 10 लाख 75 हजार आवेदन प्राप्त हुए हैं। इसमें से 410,000 आवेदन ऐसे पेंशनरों के हैं जिन्होंने 1 सितंबर 2014 से पहले सेवानिवृत्ति ली थी और 10 लाख 34 हजार सदस्य संयुक्त विकल्प (जहां उनकी तनख्वाह 15,000 रुपये की सीमा से अधिक थी) के तहत आते हैं। दिसंबर 2023 तक, लगभग 1.17 मिलियन आवेदन विभिन्न चरणों में सत्यापन के लिए थे और यह स्पष्ट नहीं है कि इन्हें संसाधित करने में कितना समय लगेगा।
पेन्शनभोगियो के साथ नियोक्ताओं को भी है परेशानी
पेन्शन को लेकर जमीनी स्तर पर, प्रगति धीमी रही है, जिससे कई पेंशनरों और सदस्यों के साथ-साथ नियोक्ताओं को भी अनिश्चित भविष्य का सामना करना पड़ रहा है। पेंशन एक्टिविस्ट परवीन कोहली कहते हैं, “1 सितंबर, 2014 के बाद के मामलों के कार्यान्वयन में देरी बहुत लंबी हो गई है और कई पेंशनर इस वजह से पीड़ित हैं। कुछ तो बिना लाभ के ही स्वर्ग सिधार गए हैं।”
पेंशन एक्टिविस्ट सी. कुमार का मानना है कि कई मामलों में नियोक्ता पुराने रिकॉर्ड को सत्यापित और प्रमाणित नहीं कर सके। EPFO को ऐसे कर्मचारियों की मदद करनी चाहिए या वैकल्पिक सत्यापन विधियों पर विचार करना चाहिए।
मुद्दे की उत्पत्ति
EPS, जो 1995 में शुरू किया गया था, EPFO के तहत है जो औपचारिक क्षेत्र के लिए भविष्य निधि योजना चलाता है। 20 या उससे अधिक कर्मचारियों वाले प्रतिष्ठानों में, नियोक्ता और कर्मचारी दोनों को EPF में मासिक 15,000 रुपये की सीमा पर 12% का योगदान करना होता है। नियोक्ता के 12% शेयर में से 8.33% EPS को फंड करने के लिए दिया जाता है। केंद्र भी मासिक वेतन का 1.16% योगदान करता है।
2014 का संशोधन और विवाद
सितंबर 2014 में योजना में संशोधन किया गया ताकि अधिक योगदान सुनिश्चित किया जा सके। संशोधन ने मासिक वेतन की सीमा को 6,500 रुपये से बढ़ाकर 15,000 रुपये कर दिया और सदस्यों को अपने वास्तविक वेतन का 8.33% EPS में योगदान करने की अनुमति दी। सुप्रीम कोर्ट ने 2022 में इन संशोधनों को बरकरार रखा, जिससे सदस्य उच्च पेंशन का विकल्प चुन सकते थे।
EPFO की मौजूदा स्थिति और प्रयास
EPFO ने उच्च पेंशन के आवेदन प्रक्रिया को समझाने के लिए कई परिपत्र जारी किए हैं और समय सीमा को कई बार बढ़ाया है। एक एक्ट्यूरियल अभ्यास भी चल रहा है ताकि उच्च पेंशन के प्रभाव का आकलन किया जा सके। EPFO सुप्रीम कोर्ट के फैसले के कार्यान्वयन को तेज करने की कोशिश कर रहा है लेकिन इससे EPS को नुकसान हो सकता है।
केंद्रीय न्यासी बोर्ड (CBT) की समीक्षा
CBT, जो EPFO का सर्वोच्च निर्णय लेने वाला निकाय है और जिसकी अध्यक्षता केंद्रीय श्रम और रोजगार मंत्री भूपेंद्र यादव करते हैं, उन्होने नियमित रूप से इस फैसले के कार्यान्वयन की समीक्षा की है। एक रिपोर्ट में, EPFO ने कहा कि इस कार्य के विभिन्न आयाम हैं, जिनमें यह तथ्य भी शामिल है कि कई कर्मचारियों, पेंशनरों और नियोक्ताओं ने आवश्यक विवरण और स्पष्टीकरण प्रदान करने के लिए अतिरिक्त समय मांगा है।
भविष्य की चुनौतियां
EPFO को स्टाफ की कमी का सामना करना पड़ रहा है। 9,000 रिक्तियों में से लगभग 4,000 हाल ही में भरे गए हैं। हरीभजन सिंह सिद्धू, ट्रेड यूनियन हिंद मजदूर सभा के महासचिव, का कहना है, “अधिकारियों पर बहुत अधिक बोझ है और मौजूदा स्टाफ के पास इतनी अधिक आवेदनों की जांच करने का समय नहीं है।”
न्यूनतम मासिक पेंशन की समीक्षा की मांग
न्यूनतम मासिक पेंशन 1,000 रुपये की समीक्षा की मांग भी लंबित है, जिसे 2014 में तय किया गया था। पेंशनरों और ट्रेड यूनियनों ने इसे कम से कम दोगुना करने की मांग की है। लेकिन केंद्र ने इस पर सहमति नहीं दी है। नई सरकार के गठन के बाद वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण जब जून के अंत में बजट पेश करेगी तब पेंशनभोगियों को बढी पेंशन का तोहफा दिया जा सकता है। इसके साथ सुप्रीम कोर्ट के द्वारा दिए गए हायर पेंशन के फैसले पर अच्छी खबर आ सकती है।
ईपीएस 1995 क्या है
► कर्मचारी पेंशन योजना 1995 के तहत सेवानिवृत्ति, मृत्यु या विकलांगता के कारण सदस्यों को कम से कम ₹1,000 प्रति माह की पेंशन प्रदान की जाती है। इस योजना के माध्यम से कर्मचारियों को अपने बढ़ते उम्र के साथ आरामदायक और सुरक्षित भविष्य की गारंटी दी जाती है।
पेंशन पात्रता
► जो सदस्य 58 वर्ष की आयु में ₹15,000 प्रति माह के वेतन सीमा के साथ सेवानिवृत्त होते हैं, वे 10 साल की सेवा के बाद पेंशन के लिए पात्र होते हैं। इसके अलावा, यदि कोई सदस्य 58 वर्ष की आयु से पहले नौकरी छोड़ देता है, तो वह 50 वर्ष की आयु के बाद प्रारंभिक पेंशन प्राप्त कर सकता है।
योगदान
► कर्मचारी और नियोक्ता दोनों प्रत्येक माह ₹15,000 तक के मूल वेतन का 12% ईपीएफओ में योगदान करते हैं। इसके तहत, नियोक्ता का 12% योगदान में से 8.33% ईपीएस में और 3.67% ईपीएफ में जाता है, जबकि सरकार 1.16% मूल वेतन का योगदान ईपीएस के रूप में सब्सिडी के रूप में प्रदान करती है। यह योजना एक स्वावलंबी पेंशन योजना है जो कर्मचारियों को उनके वृद्धावस्था के बाद भी आर्थिक सहारा प्रदान करने के लिए डिज़ाइन की गई है।
निष्कर्ष
EPFO को कर्मचारियों की कमी और उच्च पेंशन के लिए किए गए आवेदनों की भारी संख्या के बीच संतुलन बनाना होगा। इसे सुनिश्चित करना होगा कि सभी आवेदनों का सही समय पर निपटारा हो और साथ ही EPS की स्थिरता भी बनी रहे। यह चुनौतीपूर्ण है, लेकिन इसे सफलतापूर्वक पूरा करना लाखों पेंशनरों के भविष्य के लिए महत्वपूर्ण है।
Yeh sarkar apna hi pait bharna janta hai Pvt Majdooro ka kuchh nahi karna janti hai sirf aur sirf sarmaydaro ki sarkar hai bate lambi chauri aur jumle waji hai.
Iis monghvari me sarkar ko nivrut karmchari ke lie prectical sochna chahiye ke Rs.1000-3000 me ek month ka dudh or shabji bhi ATI nahi hai. Minimum pension ke sath DA bhi dena chahie. Jisse santano per nirbhar na rah shake.
No possibility by new government
इस सरकार से कोई उम्मीद रखना बेवकूफी है। सच्चाई तो ये है कि मोदी सरकार ने गरीबों से लिया ही लिया है दिया आजतक कुछ नहीं। सिनियर सिटीजन को रेल मे सफर करने पर पचास प्रतिशत की रिबेट मिलती थी वो भी इस सरकार ने चार साल पहले वापिस ले लिया जो आजतक नही दिया गया। गैस सिलैंडर पर सब्सिडी भी इस सरकार ने वापिस ले लिया। सही मायने मे इस सरकार ने गरीबों को कभी भी कुछ नहीं दिया। हरियाणा सरकार ने एक फैसला लिया था कि जिस को भी पी एफ से तीन हज़ार से कम पेंशन मिलती है उसे खजाने से पुरा कर के दिया जायेगा। लेकिन आजतक दो रूपए भी इस सरकार ने किसी के खाते मे नही डाले। दिल्ली और पंजाब मे दो सौ यूनिट बिजली फ्री है लेकिन हरियाणा मे दो रूपए की सब्सिडी भी किसी को नही मिलती। खैर चार महीने के बाद हरियाणा मे कांग्रेस की आ रही है और ये सरकार खजाने भरकर छोड कर जायेगी कांग्रेस सरकार उस पर ऐश करेगी। अभी भी समय है सरकार अपने खजाने न भरे और जो कुछ इस सरकार ने मिडल क्लास से छीना है वो वापिस करे ।
Fir Wahi PM aur wahi Finance Minister.EPS pensioners ko inse koi ummeed nahi rakhni chahiye.Abhi inko Asahaya vardho ka Shap poora nahi lag paya .EPS pensioners ne to apna shap election se pahle de diya tha abhi uska asar adha pada ha. Ab chothai aane wale MLA election me is sarkar ko mil jayega aur 2029 May-June tak poora. Uske bad BJP ka koi Naam bhi nahi Lega
Last one year this story is going on when “Sarkar” will act? By not taking actions or decision government will lost publuc trust. Jago ….
सांसदों और विधायकों का योगदान पांच साल के लिए और जितना पांच उतना पेंशन और जो जीवन खपाया देश के लिए उनको ₹ 1000/ ।ये सरकार स्वार्थी है बाते लंबी काम सुन्य।
जय हो भारत माता को ।
Kitne hi retired employees ka jeevan yapan ka sawal hai..kitne hi retired log shyad badhi pension ko bina prapt kiye hi..swarg chale jaye ge….ye mudda turant decide hona chahiye.. EPFO ki problems last do saal se…hai..or ye samasya atki hai?kab hoga samadhan?
मैं 31.7.2012 में उत्तर रेलवे बरेली से SR.SECTION ENGINEER ELECTRICAL के पद से रिटायर हुआ था,मुझे रिटायर हुए 11 बर्ष से अधिक हो चुके हैं मगर मेरा कम्युटेशन अब भी मेरी पैन्शन से काटा जा रहा है जबकि दस बर्ष बाद नहीं काटना चाहिए तथा हायर पैंशन में समायोजित होना चाहिए।
Aise jumle To Ham 2010 ke retire hone ke bad bahut Sare sun rahe hain Jo Galti Congress Ne ki Vahi Galti Modi ji ki sarkar kar rahi hai aur Hota Kuchh Bhi Nahin Hai Ab Ham sab log marne ke kagar per Hain isliye yah Paisa jo bhi badhane Wale Hain Badhana To Hai Nahin badhane Wale Hain vah Khud Apne Sath Lekar Chale jaen
unmarried daughter bhi family pension ki hakdaar he. parents ki care karne k liye unmarried rahe . uske upar hi depend rahe. aur uski age bhi jyada ho jaye. kahi job bhi na mile. to vo kese jiye. isliye jo ladki parents ki care karne k liye unmarried rahe usko bhi family’s pension milni chahiye. central government unmarried daughter ko pension deti he. bhut Gujarat government unmarried daughter ko pension nahi deti. ese thoda chalta he
HG pention Modi sarkar kabhi nahi degi.
Budget delhi me lage contact karmchaariyon ko saman kam saman vetan mile ise bi lagu kar jaye jo aam admi ka adikar he or regular employees ki tarha anyaay shuveedye mile jise contact karmchaari apne parivaar ka palan pshan kar sake